31 अक्टूबर से छट पूजा का पर्व आरम्भ हो चूका है | चार दिनों तक चलने वाली इस छठ पूजा के पर्व का अपना अलग महत्व है, देश के कई हिस्सों में इस पर्व को मनाया जाता है, लेकिन बिहार क्षेत्र में इस पर्व को मनाने का ख़ासा उत्साह रहता है | बिहार और इसके आस पास के क्षेत्र में इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है | प्रत्येक वर्ष की कार्तिक माह की षष्टी को यह त्यौहार मनाया जाता है | इसीलिए इस पर्व को छठी पर्व कहा जाता है | ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्य देव और छठी माता की सच्चे मन से पूजा करने वाला शख्स मनचाहा फल जरूर पाता है, अगर आप भी इस बार ये त्यौहार मनाने जा रहे है तो कुछ बाते है जिनका ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है, इन बातो को अनदेखा करना आपको मुसीबत में डाल सकता है |
छत पूजा में साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है, छठ पूजा के लिए बनने वाले प्रसाद की जगह भी एकदम साफ़ सुथरी होने चाहिए, गंदे हाथो से प्रसाद को छूना भी नहीं चाहिए |
सूर्य देव को अर्घ्य कभी भी चांदी, स्टील, ग्लास या प्लास्टिक से बने पात्रो से नहीं दिया जाता है |
छठ पूजा के लिए बनने वाले प्रसाद को नित भोजन बनाने स्थान पर नहीं बनाया जाता है, इसके लिए प्रसाद केवल मिटटी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है |
छठ पूजा करने वालो को बेड पर सोने की मनाही होती है, इसके लिए फर्श पर चादर बिछाकर ही सोया जाता है |
पूजा के दौरान काम आने वाले किसी भी सामान को छूने से पहले हाथ धोना चाहिए और प्रसाद को पूजा से पहले किसी को भी जूठा करने नहीं देना चाहिए |
छठ पूजा के समय सात्विक भोजन किया जाता है, इस दिन लहसुन और प्याज का सेवन बिलकुल नहीं किया जाता है |
छठ पूजा करने वाले व्यक्ति को भूलकर भी अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, साथ ही किसी से अभद्र व्यवहार भी नहीं करना चाहिए |
छठ पूजा के लिए व्रत रखने वाले जातको को सूर्य को अर्घ्य दिए बिना अन्न जल का सेवन नहीं करना चाहिए |
छठ पूजा के अवसर पर मांसाहार करना बिलकुल वर्जित है, इसका सेवन करना पाप का भागी बनाता है |